Friday, February 5, 2010

मेरे द्वारा लिखी यह कविता आज के सामाजिक माहौल को दिखलाती है .... कैसे हम दुनिया के आगे बढ़ने की बात करते हैं , पर यथार्थ वही है...... आज भी कहीं न कहीं लडकियां शोषण का शिकार हो रही हैं .... क्या सच में ये अपनी उन्नति है???????????????

उन्नति --1
आज जमाना चाँद पर पहुँच गया,
अब डाक बाबु के
साइकिल की घंटी, मोबाइल से बजती है,
लडकियां शादी में पहले से कही ज्यादा सजती हैं,
सब बदल गया, रे
डियो से ट्रांसिस्टर तक,
श्यामपट्ट से कंप्यू
टर तक, मिट्टी के दिए से ट्युब लाइट तक,
सब बदल गया तभी तो ,
अब ज्यादा सजने वाली
लडकियां, घासलेट से कम ,
बिजली के करंट से ज्यादा मरने लगी...................




उन्नति --2
एक लडकी गोद में लिये, शर्म में गड़ रही होती है एक लडकी,उसे शायद पता नही गर्भ से भी आने का इन्तजार कर रही होती है एक लडकी,लडकी जो अभिशाप है, जिसका दुनियाँ में आना ही पाप है,
सब जानते हुए भी, एक लडके के इन्तजार में ,
एक और लडकी जनने को तैयार खडी होती है एक लडकी............................





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