Monday, May 2, 2011

ये साहिल और ये लहरे

कोई साहिल से दूर होती लहरों से पूछो,
जब लहरे आई थी क्या उमंग था,
क्या ख़ुशी थी, एक नया जोश था,
साहिल को भी पता न था,
ये जो लहरे उसके साथ हैं,
जाने उससे कितनी दूर चली जाएँगी,
चली जाएँगी ये लहरे फिर कभी ना आने के लिए, 
रोयेगा साहिल उस पल कितना सोचो जरा,
जब उसे पता चलेगा, ये लहरे उससे दूर चली गयी,
बहुत दूर.......
लहरे जो उससे दूर जा रही जरा उनकी भी बात करते हैं,
उन्हें क्या पता था उनका साहिल से मिलन क्षणिक होगा,
शायद हाँ, तभी तो कितनी तेज आई थी ये लहरे,
मिलन को बेताब ये लहरे जिन्हें दूर जाना था बहुत दूर...
ये जानते हुए भी एक क्षणिक मिलन की आस में,
कितनी उतावली थी ये लहरे, बेवस और लाचार थी ये लहरे...
क्षितिज के उस पार उन लहरों का कोई आशिक,
कर रहा है  इन्तजार, खो जाएँगी ये लहरे,
अपने आशिक के आगोश में और बेचारा साहिल,
देखता  रह जायेगा इन दूर जाती लहरों को,
जो फिर कभी ना आएँगी उसके पास,
कभी ना आएँगी उसके पास........

Tuesday, April 26, 2011

सोचा न था जिंदगी

मेरे होठों की ख़ुशी तुम थी,
मेरे आँखों की नमी तुम थी,
तुम थी मेरा दिवा स्वप्न,
तुम ही मेरा अरमान थी।

तुम बिन कैसे कट पायेगी,
सोचा न था जिंदगी।
एक चाह अधूरी रह जाएगी,
सोचा न था जिंदगी॥

जब दूर हुई तू मुझसे,
जैसे रात घनेरी छाई थी।
वो धुल भरी आंधी जाने क्यों,
मन में उस पल आई थी॥
भूल जाऊंगा सब दुःख प्रियवर,
तेरी ख़ुशी सजाने में।
जागूँगा मैं रात-रात भर,
तेरे स्वप्न सजाने में॥

जाने क्या-क्या दुःख देखूंगा,
सोचा न था जिंदगी।
एक प्यास अधूरी रह जाएगी,
सोचा न था जिंदगी...
एक चाह अधूरी रह जाएगी,
सोचा न था जिंदगी.............