Tuesday, April 26, 2011

सोचा न था जिंदगी

मेरे होठों की ख़ुशी तुम थी,
मेरे आँखों की नमी तुम थी,
तुम थी मेरा दिवा स्वप्न,
तुम ही मेरा अरमान थी।

तुम बिन कैसे कट पायेगी,
सोचा न था जिंदगी।
एक चाह अधूरी रह जाएगी,
सोचा न था जिंदगी॥

जब दूर हुई तू मुझसे,
जैसे रात घनेरी छाई थी।
वो धुल भरी आंधी जाने क्यों,
मन में उस पल आई थी॥
भूल जाऊंगा सब दुःख प्रियवर,
तेरी ख़ुशी सजाने में।
जागूँगा मैं रात-रात भर,
तेरे स्वप्न सजाने में॥

जाने क्या-क्या दुःख देखूंगा,
सोचा न था जिंदगी।
एक प्यास अधूरी रह जाएगी,
सोचा न था जिंदगी...
एक चाह अधूरी रह जाएगी,
सोचा न था जिंदगी.............