Sunday, December 12, 2010

माँ के नाम बेटी की पाती

ओ माँ तेरा रुदन!!! कैसे देख सकता है कोई???
माँ मैं तुझे समझ नहीं पाई, पापा आप से क्यों इतनी दूर चली आई ?
मैं क्यों डरी आपसे, आप क्या मेरा बुरा सोच सकती थी नहीं ना,
पर माँ मैं कमजोर हो गयी, अब समझ जाओ माँ मेरी प्यारी माँ,
सोचती हूँ माँ तू रोई होगी शायद जब सुना होगा मेरे बारे में,
माँ तेरा क्रंदन कितना दुःख हुआ तुझे माँ, पर मैं मजबूर थी माँ,

पापा से डरी थी मैं, नहीं नहीं पापा से नहीं शायद खुद से ही डरी थी,

तभी तो आँख नहीं मिला पा रही थी माँ उस दिन तुझसे,
तू जैसे भाप गयी थी मुझे, तुम्हे शायद शक हो गया था मुझ पर,
तेरी आँखों की नमी शायद कुछ बता रही थी , शायद मुझे रोक रही थी तेरी आँखे माँ
सुबह कैसे एक डरी चिड़िया की तरह थी माँ मैं उस दिन, तुम मुझे रोकना चाह रही थी माँ,
पर रोक ना पाई या मैं रुक न पाई, पापा मुझे माफ़ करना मैं बुरी नहीं पापा,
तेरी याद में आँखे नाम होती है माँ , तुमने कितने अरमान सजाये थे,

कितनी बाते होती थी, किन्तु पता नहीं क्यों मैं समझ नहीं पाई,

काश की मैं तुमसे कह कर आती माँ, तो क्या तुम मुझे रोक देती,
तुमने मुझे पराया तो नहीं समझा न माँ, सोचती हूँ माँ का दिल बहुत बड़ा है,
माँ मान जाएगी, गलती हुई मुझसे माँ मुझे माफ़ करना,

अभी मुझे तेरे प्यार की जरुरत है माँ, माँ तेरा नेह चाहिए मुझे,

तुम तो समझो माँ मैं कैसी अकेली पड़ी हूँ अभी, पापा को समझाना,
मुझे पापा का आशीष चाहिए, जिंदगी बहुत लम्बी है, आपके बिना कैसे जियेगी आपकी लाडली ??
मुझे माफ़ करना माँ मैं अबोध हूँ ................

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