Wednesday, May 18, 2016

बेटियाँ


जीवन का आधार जब होती हैं ये बेटियाँ, 
कोख में फिर जाने क्यों दम तोड़ती हैं बेटियाँ।।
लक्ष्मी दुर्गा शिवा कृष्णा होती है जब बेटियाँ,
बीच सड़क तार-तार होती फिर क्यों बेटियाँ।।
माँ बहनें भी तो कभी होती हैं ये बेटियाँ,
बहुरूप फिर क्यों जलाई जाती बेटियाँ।।
राष्ट्र चलाने के लिए सुषमा ममता जयललिता ,
प्रतिभा और इंदरा जैसी होती है ये बेटियाँ।।
युद्ध के मैदान में लक्ष्मी दुर्गावती बन,
 दुश्मनो के छक्के भी छुड़ाती हैं ये बेटियाँ।।
बेटे यदि राम हैं तो सीता होती बेटियाँ,
 घर का सिंगार भी तो होती है  बेटियाँ।।
बेटे यदि सचिन हैं तो साइना जैसी बेटियाँ,
किरण जैसी आईपीएस भी बनती है ये बेटियाँ।।
क्या मिलेगा बेटियों को मार कर सोचो अब,
घर के चिराग को ही जन्म देगी बेटियाँ।।
बंद करो बस अब स्त्री वध  रथ,
चाँद  पे पहुंच के दहाड़ रही बेटियाँ।।।